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हमेशा जीवन में इंसानियत को तरज़ीह दें by Sohail Ansari

  • Writer: Fly Higher India - FHI
    Fly Higher India - FHI
  • May 31, 2019
  • 3 min read

By Volunteer Sohail Ansari, FHI Jaipur

यूँ तो कहा जाता हैं कि “बच्चे भगवान का रूप होते हैं”। इस बात पर कई लोग सहमत होंगे और कई लोग अपनी असहमति व्यक्त करेंगे। मेरी नज़र में बच्चे दो तरह के होते हैं एक वो जिन्हें परिवार मिलता हैं जिनका पालन पोषण अच्छे से होता हैं और दूसरे वो जिनका कोई परिवार नहीं होता, जिन्हें हम अनाथ कहते हैं। मैं आपको यहाँ अनाथ बच्चों के बारे में बताने जा रहा हूँ।

जो बच्चे अनाथ होते हैं, जिनकी देखभाल करने के लिए उनके माँ बाप नहीं होते या जिनके माँ बाप होने के बावजूद आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें उनके माँ बाप द्वारा अनाथ कर दिया जाता हैं। ऐसे बच्चों का जीवन काफी कष्टदायी और चुनौतीपूर्ण होता हैं। उन्हें या तो माफिया वाले ले जाकर अवैध काम करवाते हैं या यह बच्चे किसी दुकान या ढाबे पर काम करते हुए दिखाई देते हैं। इतनी कम उम्र में इतनी पीड़ा सहने से ये अनेक मानसिक बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं या फिर सामाजिक कँठूता के चलते लोग इन्हें घृणित समझकर दूर कर देते हैं।

मैं आपको हमारे भारत देश में अनाथ बच्चों के बारे में कुछ तथ्य बताना चाहता हूं। अंतर्राष्ट्रीय अनाथालय कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में अनाथ बच्चों की संख्या 26 लाख के लगभग हैं और अनाथालयों की संख्या लगभग 70 लाख दर्ज की गई है। जिनकी संख्या आने वाले सालों में बढ़ने के आसार हैं। आंकड़ों के अनुसार मात्र 1 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे हैं जिनके माँ बाप अब नहीं है। जबकि 99 प्रतिशत बच्चों को उनके माँ बाप ने पालन पोषण नहीं कर पाने की वजह से अनाथ कर दिया हैं।


मैंने काफी पहले सुना था कि ” खुशियाँ पैसों की मोहताज़ नहीं होती”। किसी महापुरुष ने यह लाइन एक दम सही बोली है। मैं इस हक़ीक़त से रूबरू हुआ 5 मई 2019 को “फ्लाई हायर इंडिया” के माध्यम से। मुझे एक अनाथालय में जाकर उन बच्चों के साथ वक़्त बिताने का मौका मिला। इनमें से ज्यादातर बच्चों की उम्र महज़ 5 साल से 14 साल के बीच है। वहाँ जाकर मैं यह जान पाया कि अगर इन बच्चों को सही शिक्षा और जीवन में सही मार्गदर्शन मिले तो वो दुनिया में अपनी छाप छोड़ने का माद्दा रखते हैं।

हमारी टीम जब वहाँ अलग अलग तरह की गतिविधियाँ करवा रही थी तो पता चला कि हर बच्चे में एक अलग तरह का टैलेंट हैं। जैसे कि एक अच्छा सिंगर है , दूसरा अच्छा डांसर है तो तीसरा बच्चा एक्टिंग की कला में माहिर हैं। इन सभी गतिविधियों के दौरान मेरी नज़र एक बच्चे पर पड़ी जो कि कतार में सबसे पीछे गुमसुम सा बैठा था। मैंने उसके पास जाकर उससे पूछा कि-

तुम्हारा नाम क्या है?

क्या वजह है जो तुम चुपचाप पीछे बैठे हो?

मेरा नाम शाहिद है।

नहीं, नहीं मेरा नाम शाहिद अफरीदी हैं।

(एक गंभीर मुस्कान के साथ वो बोला।)

मैं:- अच्छा, तो क्या इस शाहिद अफरीदी को क्रिकेट खेलना आता हैं?

शाहिद:- (खुश होते हुए) खेलना ही नहीं भैय्या मुझे लंबे-लंबे छक्के लगाना भी आता हैं।

मैं:- अच्छा, तुम्हें पता है शाहिद अफरीदी एक पाकिस्तानी हैं?

शाहिद:- (सोचते हुए बोला) हाँ भैय्या, मुझे वो क्रिकेट की वजह से पसंद है, ना कि उसके देश की वजह से और हैं तो वो भी इन्सान ही, सब लोग बुरे थोड़े ही होते हैं।

(उस छोटे से बच्चे की इतनी बड़ी बात सुनकर, मैंने बात पलटकर उससे पूछा)

मैं:- तुम्हारा परिवार तो होगा न शाहिद? तुम यहाँ कैसे पहुंचे?

शाहिद:- (उदास होकर धीमी आवाज़ में बोला) मेरा छोटा भाई हैं, वो मेरे साथ यहीं है और मेरे घर पर मेरी अम्मी है, पापा नहीं है।

आगे जब उसने बताया कि कैसे उसके पिता के देहान्त के बाद उसकी माँ ने “मैं अब तुम दोनों को नहीं पाल सकती, यहाँ से चले जाओ और कभी लौटकर मत आना” यह कहते हुए उन्हें अनाथ घोषित कर दिया। यह सुनकर मेरी आँखें खुली रह गयी और मैं ये सोचने पर मजबूर हो गया कि जहाँ हमें एक ओर ममता के इतने पाठ पढाये जाते हैं और वहीं दूसरी ओर कैसे एक माँ इतनी लाचार और निर्मम हो सकती हैं। यह सुनकर उस दस साल के बच्चे को कैसा हृदयघात पहुँचा होगा। मैं कुछ बोल नहीं पाया बस उसके सर पर हाथ फेर दिया। यह देखकर वो मुस्कुरा दिया और फिर किसी काम में मशगूल हो गया।

वहाँ से जाने से पहले मेरे मन में उस दस साल के बालक का ख्याल आया कि कैसे इतना सब सहने के बाद भी वो मुस्कुरा रहा हैं। उस दिन उस बच्चे के सामने मुझे अपनी परेशानियाँ काफी छोटी महसूस हुई। समय का तो कुछ नहीं कह सकते परंतु मेरा ऐसा मानना हैं कि वो आगे जाकर समाज में एक बेहतर उदाहरण बनेगा। उसका वक्तव्य यह दर्शाता हैं कि हमें परेशानी में भी हौसला नहीं हारना चाहिए और कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना मुस्कुरा कर करना चाहिए।



मैं अंत में कहना चाहूँगा की यदि आपके शहर में अनाथालय हैं तो आप महीने के किसी भी रविवार को वहाँ जाएं और उन्हें बेहतर चीज़ें सिखाएं। क्या पता आपकी एक पहल किसी एक बच्चे के जीवन की दिशा बदल दे और वो एक कामयाब इंसान बनकर आपका शुक्रिया अदा करे। इस पर जो खुशी आपको महसूस होगी ना वो दुनिया की सारी सांसारिक खुशियों से बेहतर होगी। हमेशा जीवन में इंसानियत को तरज़ीह दें।

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